Maa…
ओस की बूँद को समेटती बेले के पत्ते सी माँ
मलयज के झोकों सी माँ’
मरुभूमि में शीतलता सी माँ, हरियाली सी माँ
जिसे देख श्रम क्लांत पथिक जीवन का अमृत पा जाएँ
उस पर्वत सी अडिग निडर माँ
सावित्री सी माँ जिसे देख दुखों का यम भी स्वयं ठहर न पाए
माँ, तुम एक छाव हो जहाँ पंछी पंखों में ठौर पाते
माँ एक मुदरी सी जिस पर जड़ नगीने अपनी चमक बिखेर इठलाते
कोयल की कुहुक सी माँ , बौराई मंजीरे को देख पुलकित होती सी
धैर्य धरा सी , आंधी के कापते डीप सी टिमटिमाती माँ
हाँ माँ , तुम जीवन का नमन हो
कामनाओं का हवन हो
माँ तुम एक अनुभूति हो सुखद सी , मीठे फल सी
जिसे व्यक्त करते वक़्त शब्द भी गूंगे हो जाते।
Dedicated to all Lovely, amazing mothers