कोरोना से

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प्रभु की महिमा है अपरंपार,
बचे हैं चारों धाम, काशी और हरिद्वार।

सोंचा है कभी कैसे, बचे हैं मथुरा औ’ वृंदावन,
क्योंकि, इसके रज रज मे बसे हैं, राधा मोहन।

बालाजी, रामेश्वरम तक का, बचा है कोना कोना,
फिर क्या है मुश्किल, काहे का रोना।


बालाजी हों, या हो साईंधाम नगरी,
इन्हें छू नहीं सकता, इनके हिस्से, श्रद्धा औ’ सबूरी।

काशी के आसपास, नहीं है कोई समस्या भारी,
यहाँ है पतितपावन गंगा, बम बम भोले त्रिपुरारी।

प्रभु, वाहेगुरु, अल्लाह, जीसस सबका भला करता,
पग पग में साथ देता, सिद्धिविनायक विघ्नहर्ता।


डटे रहो, डरो नहीं, रुक जाएगा यह मर्ज़,
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, या हो चर्च।

ऊपर आसमां पर है खुदा, जीसस, प्रभु व करतार,
मगर धरती पर ले चुका है, मोदी कल्कि अवतार।

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