जिस दिन तेरा जनम हुआ
जीवन की खुशियां बौरायीं
तन मन का आँगन पूर्ण हुआ
बगिया फूलों से मुस्काई
रुई से कोमल फाये को जब
हाथों से मैंने थामा
मेरे आँचल को पकड़ जकड
तू…
ओस की बूँद को समेटती बेले के पत्ते सी माँ
मलयज के झोकों सी माँ'
मरुभूमि में शीतलता सी माँ, हरियाली सी माँ
जिसे देख श्रम क्लांत पथिक जीवन का अमृत पा जाएँ
उस पर्वत सी अडिग निडर माँ…