है तुझपर गुरूर इतना, जितना खुद पर ऐतबार नहीं
तेरे ज़िक्र के बिना, आगाज़ नहीं- अंत नहीं
हो जाऊं गुम तेरी इबादत में, ऐसा सुकून दे मुझे
ऐ मौला अपनी रहमत का, थोड़ा अंश दे मुझे
ना कोई है, ना कोई था- तेरे सिवा मेरा
आज फिर एक बार हाथ तू थाम मेरा
जो देखा आईने में खुदको तो अहंकार पाया
पर मुड़ा तेरी राहों में, तो हमेशा तेरा अक्स पाया
ना कोई है, ना कोई था- तेरे सिवा मेरा
फिर क्यों हीरा छोड़के ढूढ़ने चला कंकर यह मन मेरा
हैं यह आज़माइश तो क़ुबूल है मुझे
कहता वही आइना जिसमे ढूंढा मैंने तुझे
है जिगर में हौसला तो तेरे करम का
है रूह में खौफ तो तेरे कहर का
है तुझपर गुरूर इतना, जितना खुद पर ऐतबार नहीं
तेरा नूर नहीं, तो कुछ भी नहीं
है तेरा नूर जहां, वहाँ क्या नहीं
Superb bhabhi !!!!
Proud on you 😍😍😍😘😘😘😘